स्वातंत्र्याचा अमृत महोत्सव निमित्त फौलादियो के इरादे

नवचैतन्य टाईम्स वाई प्रतिनिधी(सौ.सरस्वती वाशिवले) आसमानो को छुने का इरादा था भारत का झेंडा लहराने का सपना था दुश्मनो से लडने का हौसला था मुश्किलों को हरानें का इरादा था
स्वंतत्रता की आग थी हर किसी मे
लडनेकी चाह थी हर किसी मे
जान मांगे तो खुशी से देने को तैयार थे
बिना लडे कुछ तब हो न सकता स्वंतत्राहीन देश वो देश हो न सकता काश हम होते उस दौर मे आजादी की हम भी चाह रखते उस खौफ में भले ही न हो हम उस दौर के वासी
कोशिश करेंगे बनने की जैसी थी रानी झॉसी
ना रुकेगे ना झुकेंगें हिम्मत को ना तोडेगे
चाहे कुछ भी हो आपने वतन
का हाथ ना छोडेगें जीतना है सिखाना है,गिरना है सीखना है लेकिन उठना है लडना है,आजादी को जीना है फौलादियों की तिजोरी भरी है इरादो से सपनो से,हिम्मत और हौसलो के पहाडों से
मेरा वतन मेरा सपना है,मेरा वतन मेरा अपना है
मेरा वतन मेरी जान है,मेरा वतन मेरा शान है मर- मीट जाना इस धरती पर यह शान रहे, ये वतन इस बेटी पर तेरे ये आँसू उधार रहे!
काव्य रचना – कु.पायल अनिल थोपटे इयत्ता दहावी ज्ञानदिप इंग्लिश मेडियम स्कूल वाई पसरणी

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